150 साल का समय लगा था इस शिव मंदिर को तैयार होने में || जानें मंदिर की और भी खास बातें
क्योंकि प्राचीन समय में आज के जैसी आधुनिक तकनीके विकसित नहीं की गईं थीं। बिना आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर ऐसी विशाल सरंचना का निर्माण एक शोध का विषय बना हुआ है।
ये है हजारो साल पुराना चमत्कारी शिव मंदिर जिसके बारे में अभी तक किसी को नही पता
यह पूराकैलास मंदिर 276 लंबी और 154 चौड़ी चट्टान को काटकर बनाया गया है। अगर आप इसकी संरचना को बारीकी से देखें तो आपको पता लगेगा कि इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। मंदिर के निर्माण के दौरान लगभग 40 हजार टन वजनी पत्थरों को पहाड़नुमा चट्टान से हटाया गया था।
भगवान शिव को समर्पित इस विशाल मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट राजा कृष्ण आई द्वारा करवाया गया था। लेकिन कैलास मंदिर के कई प्रतीक जैसे देवताओं की मूर्तियां, खंभे और जानवरों की आकृतियां किसी अज्ञात अतीत की ओर इशारा करती हैं। माना जाता है इनका निर्माण 5वीं और 10 वीं शताब्दी के आसपास किया गया होगा।
कई शोधकर्ताओं का मानना है कि कैलास मंदिर के निर्माणकर्ताओं ने एक वर्टिकल खुदाई पद्धति का इस्तेमाल किया था ताकि वे इस सरंचना को दुनिया के सामने एक अद्भुत रूप में पेश कर सके। जिसे हासिल करने में वे कामयाब रहे। इसलिए वे बड़े चट्टान के शीर्ष से शुरू हुए और नीचे की ओर बढ़े।
कैसे करें प्रवेश
आप औरंगाबाद से कैलास मंदिर तक का सफर टैक्सी या बस के माध्यम से पूरा कर सकते हैं। औरंगाबाद सड़क मार्गों द्वारा महाराष्ट्र के बड़े शहर जैसे मुंबई, पुणे, नासिक, सतारा,कोल्हापुर और अहमदनगर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आप रेल मार्ग से लिए औरंगाबाद रेलवे स्टेशन और हवाई मार्ग के लिए औरंगाबाद हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं।