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सात हाथियों से भी नहीं हिल पाया था ये पत्थर || इस पत्थर के रहस्य को नहीं समझा कोई

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Mahabalipuram stone
दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं, जिनके रहस्य को आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है। इसे चमत्कार कहें या फिर कुछ और, जो भी है ये कमाल का है, जो देखता है वो हैरान रह जाता है, तमिलनाडु राज्य में एक शहर है महाबलीपुरम, ये एक मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। यहां हर साल लाखों लोग आते हैं, इस शहर में एक खास जगह है, जहां पर एक पत्थर ढलान पर खड़ा है, अब आप कहेंगे कि इस में क्या खास बात है, तो खास बात ये है कि ये कोई छोटा पत्थर नहीं बल्कि 250 टन का विशाल पत्थर है, जो बिना किसी सपोर्ट के ढलान पर खड़ा है, उस से भी खास बात ये है कि ये पिछले 1200 साल से इसी तरह से ख़ड़ा है। महाबलीपुरम के स्मारकों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है।
इस रहस्यमय पत्थर को यहाँ पर देखें https://youtu.be/h_vb_VSsEj8?t=1


यह रहस्यमयी पत्थर करीब 20 फीट ऊंचा और करीब 15 फीट चौड़ा है। ये चमत्कारी पत्थर एक ढलान पर करीब 4 फीट के आधार पर टिका हुआ है। यह पत्थर एक ढलान पर आश्चर्यजनक रूप से टिका हुआ है, जो न तो कभी हिलता है और ना ही कभी लुढ़कता है। लोग इसे देख कर हैरान होते हैं, उनको समझ नहीं आता कि कैसे ये पत्थर खड़ा है, गिरता क्यों नहीं है। महाबलीपुरम आने वाले लोग इस पत्थर को देखने के लिए जरूर जाते हैं, इस के सामने खड़े हो कर फोटो खिंचवाते हैं।
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मान्यताओं के मुताबिक ये पत्थर पिछले 1200 साल से इसी तरह खड़ा है, महाबलिपुरम आने वाले लोग 250 टन वजनी इस पत्थर को देखकर हैरान रह जाते हैं कि आखिर यह कैसा चमत्कार है।साथ ही इसके सामने खड़े होने में डर भी लगता है, कहीं ये खिसक गया तो क्या होगा, इसके बाद भी लोग इसे देखने के लिए जाते हैं।कुछ लोग इस पत्थर को श्रीकृष्ण के माखन की गेंद भी कहते हैं।  इसकी लोकप्रियता का आलम ये है कि इसके नाम पर कई फेसबुक पेज भी चल रहे हैं।
इस रहस्यमय पत्थर को यहाँ पर देखें https://youtu.be/h_vb_VSsEj8?t=1

श्रीकृष्ण के माखन की गेंद क्यों कहते हैं
बिना किसी सपोर्ट के ख़ड़े इस पत्थर को श्रीकृष्ण के मक्खन की गेंद क्यों कहा जाता है, इसके पीछे पुरानी मान्यता है। जिसके मुताबिक महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में यहां थोड़ा सा माखन गिरा दिया था, ये वही माखन है जो अब पत्थर बन चुका है। इसी वजह से इसे श्रीकृष्ण के माखन की गेंद कहा जाता है।

वर्ष 1908 में इस पत्थर को उस वक्त के मद्रास के गवर्नर आर्थर ने देखा तो उनको ऐसा लगा कि ये पत्थर किसी बड़े हादसे की वजह बन सकता है, इसलिए उन्होंने इस पत्थर को उसके स्थान से हटवाने हेतु 7 हाथियों से खिंचवाया, किन्तु यह पत्थर अपनी जगह से जरा सा भी नहीं हिल सका। ये पत्थर एक ढलान वाली पहाड़ी पर 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढ़के हुए टिका हुआ है

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कैसे खड़ा हुआ ये पत्थर
इस पत्थर को देख कर कई सवाल खड़े होते हैं, ये पत्थर आया कहां से, इसे किसी इंसान ने यहां खड़ा किया है या फिर कुदरत ने इस पत्थर को इस तरह से खड़ा किया है। इन सारे सवालों का जवाब कोई नहीं दे पाता है, ये पत्थर महाबलीपुरम की पहचान बन गया है, जो भी इस शहर में आता है पत्थर के साथ फोटो जरूर लेता है।

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कैसे पहुंचे महाबलीपुरम
अगर आप भी इस पत्थर को देखना चाहते हैं तो पहले महाबलीपुरम आना होगा, हवाई जहाज से आने के लिए आपको चेन्नई तक आना होगा, उसके बाद आप प्राइवेट टैक्सी या फिर बस से महाबलीपुरम पहुंच सकते हैं। महाबलिपुरम का निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्गलपट्टू है जो कि करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चेन्नई और दक्षिण भारत के अनेक शहरों से यहां आने के लिए कई रेलगाड़ियां मिल जाती हैं।

इस रहस्यमय पत्थर को यहाँ पर देखें https://youtu.be/h_vb_VSsEj8?t=1

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