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पहाड़ से लटका वो 500 साल पुराना गांव, जहां कभी विदेशियों का आना था प्रतिबंधित

पहाड़ से लटका वो 500 साल पुराना गांव, जहां कभी विदेशियों का आना था प्रतिबंधित

al-sogara-village
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ओमान की पहाड़ी चट्टानों में पिछले पांच सौ वर्षों से अधिक समय से एक दूरदराज बसी जनजाति एकाकी जीवन बिता रही है। मस्कट के बलुआ तटों से 195 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में ओमान का मैदानी इलाका चूना पत्थरों के एक ऊंचे पहाड़ों में तब्दील हो जाता है। 2980 मीटर ऊंचा यह पहाड़ जबाल-अल-अखदार या हरे पहाड़/ग्रीन माउंटेन के रूप में भी जाना जाता है। घुमावदार घाटियों और गहरे खड्डों से भरपूर यह देश का एक सुदूरवर्ती कोना है। सड़क खत्म होते ही आगे बढ़ने का तरीका या तो पैदल या खच्चर से या फिर ऑल टेरेन व्हिकल से रह जाता है। 20 किलोमीटर का टेढ़ा-मेढ़ा लेकिन खड़ी ढलानों वाला रास्ता चढ़ने के बाद एक खड्ड के उस पार पहाड़ी की कगार पर लगभग हवा में लटका हुआ घरों का एक छोटा सा समूह दिखाई देता है। यही अल सोगारा है। एक ऐसा दूरदराज वाला गांव जो पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है और जहां लोग पिछले 500 वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं। 

हालांकि, ग्रीन माउंटेन को ओमान के एक Amazing landscape का दर्जा दिया जाता है लेकिन कुछ ही यात्री अल सोगारा पहुंच पाते हैं। वर्ष 2005 तक इस पहाड़ी श्रृंखला में विदेशियों का प्रवेश प्रतिबंधित था, क्योंकि ओमान सरकार की इस क्षेत्र में एक सैन्य टुकड़ी थी। इन दिनों इस छोटे से गांव में आने-जाने के लिए आपको अपना वाहन एक पत्थरीले मार्ग के अन्त में छोड़ना होता है और फिर खड्ड के तले से ऊपर उठती हुई चट्टानी सीढ़ियों की 20 मिनट की चढ़ाई करनी पड़ती है। 
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इस क्षेत्र में इस तरह के कई सारे गांव हैं लेकिन अल सोगारा ही ऐसा है जो अब भी बसा हुआ है। मुख्य पहाड़ी शहर सेह कताना से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर बसा अल सोगारा इस क्षेत्र का सबसे एकाकी गांव है और पूरे ओमान में सबसे सुदूरवर्ती बसे हुए प्रदेशों में से है। 14 साल पहले तक अल सोगारा में बिजली या फोन नहीं होते थे और इसकी सबसे पास की सड़क 15 किलोमीटर दूर थी। परम्परागत रूप से सामान की आवाजाही पास के निजवा और बिरकत अल मूज शहरों से खच्चरों द्वारा की जाती थी। लेकिन 2005 में, कुछ जुगाड़ू गांव वालों ने पत्थरीली सड़क तक खड्ड के ऊपर दो गड़ारियां लगाकर घाटी से सड़क तक की केबल सवारी तैयार कर ली जिससे सामान ढोया जा सके।


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