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मुर्दों का शहर |
आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसी जगह ! जिसे कहा जाता है मौत का शहर , बता दे कि यहाँ जाने वाला कभी लौट कर वापिस नहीं आता है !! जी हाँ ,ये सुनकर आपको यकीन तो हो नहीं रहा होगा पर ये सच है। जैसे कि आप सभी जानते है कि ये दुनिया रहस्यमयी चीजों और जगहों से भरी पडी है। इनमें से कई जगहों के रहस्यों को वैज्ञानिक आज तक जरा भी सुलझा नहीं पाये हैं। जबकि कई जगहों के रहस्यों को आंशिक रूप से सुलझा सके है।
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'सिटी ऑफ द डेड' |
आपको बता दे कि रूस के उत्तरी ओसेटिया के वीरान इलाके में स्थित है, दर्गाव्स गांव जिस जगह को 'सिटी ऑफ द डेड' यानी 'मुर्दों के शहर' के नाम से जाना जाता है। रूस के उत्तरी ओसेटिया में स्थित दर्गाव्स में सिर्फ मरे हुए लोग रहते हैं। यहां पर अनगिनत झोपड़ियां हैं। वैसे यह गांव बहुत ही सुंदर है लेकिन लोग डर के मारे यहां जाना पसंद नहीं करते। कहा जाता है कि यहां के लोग अपने रिश्तेदारों के मृत शरीर को झोपड़ियों में रखते हैं।
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मुर्दों का शहर |
यहाँ पर जो ईमारत है उसमे हर एक मंजिल में लोगो के शव को दफनाए हुए है. ये ईमारत बहुत ऊँची है और इसमें दफनाए गए मुर्दों की भी संख्याए भी ज्यादा है. अगर ऐसा मान लिया जाए तो भी ये गलत नही होगा की हर एक मकान एक कब्र के बराबर है. ये सब कुछ 16वि शताब्दी से सम्बंधित है. अगर कहा जाये तो ये उस ज़माने का सबसे बड़ा कब्रिस्तान था. और यहाँ पर उस समय से लेकर आज तक उसमे सभी लोगो के शव दफ़न किये हुए है. और इसमें एक और बड़ी बाद है की ये सारे मुर्दे सिर्फ एक ही परिवार के दफनाये गये है.
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मुर्दों का शहर |
यह जगह पांच ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच छिपी हुई है। यहां पर सफेद पत्थरों से बनी अनगिनत तहखाना नुमा इमारते हैं। इनमे से कुछ तो 4 मंजिला ऊंची भी हैं। यहां के हर घरों पर मृत शरीर को दफनाया गया है। जो इमारत जीतनी ऊंची हैं, उसमें उतने ही ज्यादा शव हैं । गांव में करीब 99 घर हैं जो सभी घरों में मृत शरीर को दफनाया गया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि जो लोग इन घरों में एक बार जाते हैं वह वापिस नहीं आते । इसके अलावा मौसम के कारण भी यहां आना थोड़ा मुश्किल है।
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'मुर्दों के शहर' 'सिटी ऑफ द डेड' |
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इस तरह से हर मकान एक कब्र है और हर कब्र में अनेक लोगों के शव दफनाए गये हैं। ये सभी कब्र तकरीबन 16वीं शताब्दी से संबंधित हैं. इस तरह से हम कह सकते हैं कि यह जगह 16वीं शताब्दी का एक विशाल कब्रिस्तान है, जहां पर आज भी उस समय से संबंधित लोगों के शव दफन है।
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'मुर्दों के शहर' 'सिटी ऑफ द डेड' |
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स्थानीय मान्यताए -
इस जगह को लेकर स्थानीय लोगों की तरह-तरह की मान्यताएं भी हैं। लोगों का मानना है कि पहाड़ियों पर मौजूद इन इमारतों में जाने वाला लौटकर नहीं आता। शायद इसी सोच के चलते, यहां मुश्किल से ही कभी कोई ट्युरिस्ट पहुंचता है। हालांकि, यहां तक पहुंचने का रास्ता भी आसान नहीं है। पहाड़ियों के बीच सकरे रास्तों से होकर यहां तक पहुंचने में तीन घंटे का वक्त लगता है। यहां का मौसम भी सफर में एक बहुत बड़ी रुकावट है।
यहां के बारे में वैसे तो और भी कई मान्यताएं प्रचलित है, लोगों का मानना है की 18वीं सदी में यहां रहने वाले लोग अपने परिवार के बीमार सदस्यों को इन घरों में रखते थे, उन्हें यहीं पर खाना तथा और जरूरत की चीजें देते थे लेकिन उनकी मृत्यु होने तक उनको बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जाती थी।
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'मुर्दों के शहर' 'सिटी ऑफ द डेड' |
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पुरातत्वो की माने तो -
इस जगह पर पुरातत्व के लोगो ने काफी खोज बिन की है, यहाँ पर उनको कब्रों के पास से कई नावे भी मिली है, उनका कहना है की यह पर शवों को लकड़ी के ढांचे के साथ दफनाया गया था और ये सब लकड़िया नावें जैसी दिख रही है. इसके पीछे एक और रहस्य बना हुआ है की आस-पास कोई भी नदी नहीं है तो ये नावें यहा तक कैसे आई, नावों के पीछे की भी एक मान्यता है की आत्मा को स्वर्ग तक पहुचने के लिए नदी पार करनी होती है इसीलिए इन सभी लोगो को नावों के साथ दफनाया गया होगा.
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'मुर्दों के शहर' 'सिटी ऑफ द डेड' |
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यहाँ पर एक और चीज दिखी जो की एक कुंवा है. और इस कुंवे को लेकर भी एक मान्यता है की अपने परिजनों को दफ़नाने के बाद लोग इस कुंवे के अंदर सिक्के फेंकते थे. अगर ये सिक्का तल में मौजूद पत्थरों से टकरा जाता है तो इसका मतलब कि आत्मा स्वर्ग तक पहुँच गयी.
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