ब्लैक होल ऑफ कलकत्ता: भारतीय इतिहास की रूह कंपा देने वाली एक खौफनाक घटना
अंतरिक्ष के ब्लैक होल के बारे में तो सुना होगा आपने, लेकिन क्या आप 'ब्लैक होल ऑफ कलकत्ता' के बारे में जानते हैं? इसके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी होगी। हालांकि जो इतिहास में रूचि रखते हैं, इस घटना के बारे में उन्हें जरूर पता होगा। यह भारतीय इतिहास की रूह कंपा देने वाली एक घटना है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
दरअसल, कोलकाता के 'फोर्ट विलियम' के एक छोटे से कमरे में इतिहास का एक खौफनाक राज दफन है। फोर्ट विलियम कोलकाता में हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर बना एक किला है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान बनवाया गया था। इसे इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय के नाम पर बनवाया गया था। इसके सामने ही एक बड़ा सा मैदान है, जो कि किले का ही भाग है। यह कोलकाता का सबसे बड़ा शहरी पार्क है। इसके अलावा इस किले के सामने ही एतिहासिक विक्टोरिया मैदान भी है।
फिलहाल 'फोर्ट विलियम' थल सेना के पूर्वी कमान का मुख्यालय है। दरअसल, इस किले को अंग्रेजों की 'ईस्ट इंडिया कंपनी' ने अपने फैक्ट्रियों को सुरक्षित रखने के लिए बनवाया था, क्योंकि 17वीं सदी के आखिरी दशक में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था।
करीब 10 साल में बनकर तैयार हुए इस किले में 18 फीट लंबा और 14 फीट चौड़ा एक खास कमरा भी बनवाया गया था, जिसका नाम 'ब्लैक होल' रखा गया था। इसमें दो बेहद छोटी रोशनदान भी बनाई गई थीं और इसी वजह से इसका नाम 'ब्लैक होल' पड़ा था। वैसे तो अंग्रेजों ने इस कमरे को छोटे-मोटे अपराधियों का सजा देने के लिए बनवाया था, लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह कमरा आगे चलकर उन्ही की कब्रगाह बन जाएगा।
'फोर्ट विलियम' जब पूरी तरह से बन गया तो अंग्रेजों ने यहां अपनी सैन्य शक्ति बढ़ानी शुरू कर दी। ये बात जब नवाब सिराजुद्दौला को पता चली तो उन्होंने अंग्रेजों को आगाह किया कि वो अपनी सैन्य शक्ति न बढ़ाएं, लेकिन उन्होंने इसपर कोई खास ध्यान नहीं दिया। इससे नाराज होकर पांच जून 1756 को नवाब सिराजुद्दौला एक बड़ी सेना लेकर 'फोर्ट विलियम' पर हमला करने के लिए निकल गए।
19 जून 1756 को नवाब सिराजुद्दौला ने 'फोर्ट विलियम' पर चढ़ाई कर दी। चूंकि उस समय अंग्रेजों के पास उतनी सैन्य शक्ति नहीं थी कि वो नवाब की सेना का मुकाबला कर सकते, इसलिए कुछ अंग्रेज सैनिक को नवाब के आने से पहले ही जलमार्ग के रास्ते वहां से भाग चुके थे। हालांकि फिर भी कमांडर जॉन जेड हॉलवेल के नेतृत्व में करीब 200 अंग्रेज सैनिक किले की कमान संभाले हुए थे, लेकिन नवाब की सेना के आगे वो काफी नहीं थे। लिहाजा नवाब की सेना ने वहां भारी तोड़-फोड़ मचाई और 20 जून को 146 अंग्रेज बंदियों को (जिनमें स्त्रियां और बच्चे भी शामिल थे) फोर्ट विलियम के उसी 18 फीट लंबे और 14 फीट चौड़े कमरे में बंद कर दिया।
23 जून, 1756 को जब कमरे का दरवाजा खोला गया तो सिर्फ 23 लोग ही जिंदा पाए गए, जबकि 123 लोगों की बंद कमरे में दम घुटने से मौत हो चुकी थी। जिंदा बचने वालों में अंग्रेज कमांडर जॉन जेड हॉलवेल भी शामिल था। बाद में मरने वाले लोगों को वही एक गड्ढा खोद कर दफना दिया गया। आज उस जगह पर ब्लैक होल मेमोरियल है। हालांकि कुछ इतिहासकार इस खौफनाक घटना को संदिग्ध भी मानते हैं।