भारत के इस किले में 350 साल से रहस्य बना हुआ है झील का पानी || Mysterious murud janjira fort
महाराष्ट्र से लगे अरब सागर में एक ऐसा किला है जिसे शिवाजी, मुगल से लेकर ब्रिटिश तक नहीं भी नहीं जीत सके। इस किले की बनावट ऐसी है कि इस पर कब्जे के लिए कई बार हमले हुए लेकिन कोई भी इस किले के अंदर घुस नहीं सका। जानिए कौन-सा है ये किला...
भारत में ऐसे प्राचीन किले हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। एक ऐसा ही किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के तटीय गांव मुरुद में स्थित है, जिसे मुरुद जंजीरा किला के नाम से जाना जाता है। समुद्र तल से 90 फीट की ऊंचाई पर बने इस किले की खासियत ये है कि यह बीच समुद्र (अरब सागर) में बना हुआ है।
मुरुद जंजीरा किला भारत के पश्चिमी तट का एक मात्र ऐसा किला है, जो कभी भी जीता नहीं जा सका। कहते हैं कि ब्रिटिश, पुर्तगाली, मुगल, शिवाजी महाराज, कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा और संभाजी महाराज ने इस किले को जीतने का काफी प्रयास किया था, लेकिन इनमें से कोई भी सफल नहीं हो सका। यही वजह है कि 350 साल पुराने इस किले को 'अजेय किला' कहा जाता है।
मुरुद-जंजीरा किले का दरवाजा दीवारों की आड़ में बनाया गया है, जो किले से कुछ मीटर दूर जाने पर दीवारों के कारण दिखाई देना बंद हो जाता है। कहते हैं कि यही वजह रही होगी कि दुश्मन किले के पास आने के बावजूद चकमा खा जाते थे और किले में घुस नहीं पाते थे।
इस किले का निर्माण अहमदनगर सल्तनत के मलिक अंबर की देखरेख में 15वीं सदी में हुआ था। यह किला 40 फीट ऊंची दीवारों से घिरा ये किला अरब सागर में एक आइलैंड पर है। 15 वीं सदी में राजापुरी (मुरुद-जंजीरा किले से 4 किमी दूर) के मछुआरों ने खुद को समुद्री लुटेरों से बचाने के लिए एक बड़ी चट्टान पर मेधेकोट नाम का लकड़ी का किला बनाया। इस किले को बनाने के लिए मछुआरों के मुखिया राम पाटिल ने अहमदनगर सल्तनत के निज़ाम शाह से इजाज़त मांगी थी।
बाद में अहमदनगर सल्तनत के थानेदार ने इस किले को खाली करने कहा तो मछुआरों ने विरोध कर दिया। फिर अहमदनगर के सेनापति पीरम खान एक व्यापारी बनकर सैनिकों से भरे तीन जहाज लेकर पहुंचे और किले पर कब्ज़ा कर लिया। पीरम खान के बाद अहमदनगर सल्तनत के नए सेनापति बुरहान खान ने लकड़ी से बने मेधेकोट किले को तुड़वाकर यहां पत्थरों से किला बनवाया।
Mysterious murud janjira fort |
बताया जाता है कि इसका निर्माण 22 साल में हुआ था। 22 एकड़ में फैले इस किले में 22 सुरक्षा चौकियां हैं। यहां सिद्दीकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं, जो हर सुरक्षा चौकी में आज भी मौजूद हैं।
माना जाता है कि यह किला पंच पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है। शाह बाबा का मकबरा भी इसी किले में है।
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भारत के पश्चिमी तट का यह एक मात्र ऐसा किला है,जो दुश्मनों द्वारा कभी जीता नहीं गया। यह किला 350 वर्ष पुराना है। इसमें मीठे पानी की एक झील है। समुद्र के खारे पानी के बीच होने के बावजूद इसमें मीठा पानी आता है। यह मीठा पानी कहां से आता है इस बात पर आज भी रहस्य कायम है। अरब सागर में स्थित यह किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है। इतिहास में यह किला जंजीरा के सिद्दीकियों की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है।